[ ग्रामीण डरावनी कहानियाँ, जल मोहिनी, सूखी ताल ( तालाब ) ]
गाँव के बूढ़े-बुजुर्ग अक्सर कहा करते थे कि ‘पानी जब जाता है, तो सिर्फ ज़मीन नहीं सूखती, बल्कि उसकी प्यास रह जाती है’। और हमारे गाँव के सबसे पुराने जलस्रोत ( तालाब ) जिसे लोग ‘बुढ़िया ताल’ कहते थे, के साथ भी यही हुआ था। वह तालाब, जो दशकों से गाँव की जीवनरेखा था, अब बस दरारों वाली काली मिट्टी का एक विशाल कटोरा था। लेकिन गाँव वाले जानते थे कि जल का सूखना सिर्फ पानी का जाना नहीं था, बल्कि जल मोहिनी का इंतज़ार था—एक ऐसी प्यास जो अब इंसानी आत्माओं से बुझने वाली थी।
किशन के छोटे भाई, सुरेश को गायब हुए आज पूरा एक महीना और तीन दिन हो चुके थे। सुरेश, जो गाँव का सबसे ज़िंदादिल लड़का था, गर्मी की उस रात में अपनी भैंस को तालाब में पानी पिलाने गया था, लेकिन लौटा नहीं। खोजबीन में पुलिस को केवल ताल ( तालाब ) के किनारे उसकी पुरानी, फटी हुई चप्पलें मिलीं। पुलिस ने जल्दबाजी में ‘डूबने’ का केस कहकर फाइल बंद कर दी, पर गाँव के हर बुजुर्ग ने धीरे से फुसफुसाते हुए कहा—“सुरेश को जल मोहिनी ले गई।”
किशन का दिल उस खालीपन को स्वीकार नहीं कर पा रहा था। वह अपने भाई की मौत के दुख और गाँव के अंधविश्वासों के बीच फंसा था।

Table of Contents
शोक और अंधविश्वास के बीच की रात ( जल मोहिनी क्या सच है या झूठ )
किशन की झोंपड़ी ताल से ज़्यादा दूर नहीं थी। दिनभर खेतों में काम करने के बाद भी उसकी आँखों में नींद नहीं थी। बाहर मेढ़कों का शोर अब असामान्य रूप से ऊँचा हो चुका था, जैसे वे किसी आने वाली आपदा पर विलाप कर रहे हों।
किशन बिस्तर पर करवटें बदल रहा था। उसके दिमाग में गाँव के मुखिया की बात गूंज रही थी: “बुढ़िया ताल श्रापित है। जब पानी सूखता है, तो नीचे कीचड़ में दबी इच्छाएँ जाग जाती हैं। जल मोहिनी अब शिकार ढूँढ़ रही है।” किशन, जो शहरों में कुछ साल गुजार कर आया था, इन बातों पर हँसता था, पर अब, भाई के गायब होने के बाद, हर फुसफुसाहट उसे सच लगने लगी थी।
रात लगभग आधी हो चुकी थी। तभी, एक असहनीय सन्नाटा छा गया। मेढ़कों की आवाज़ एकदम कट गई। हवा का एक झोंका भी नहीं था। ऐसा लगा मानो समय रुक गया हो।
और फिर, उसने सुना…
पानी की आवाज़। एक धीमी, लगातार बहने वाली, रसीली आवाज़। यह मिट्टी पर टपकने की आवाज़ नहीं थी, बल्कि ऐसी थी जैसे कोई अपने गीले, ठंडे शरीर को घिस रहा हो।
और फिर आई, वह पुकार।
“किशन… अरे किशन… यहाँ आओ… देखो मैंने तुम्हारे लिए क्या छिपा रखा है…”
आवाज़ इतनी मधुर, इतनी सम्मोहक थी कि किशन को लगा जैसे उसके कानों में कोई अनजाना संगीत बज रहा हो। वह किसी औरत की आवाज़ थी, पर उसमें एक अजीब सी पुराने गीतों की लय थी, जो सीधी उसके दुःख और एकाकीपन को छू रही थी।
उसके दिल में सुरेश के खो जाने का गम, एक अजीब सी जिज्ञासा और अनियंत्रित खिंचाव में बदल गया। उसका शरीर खुद-ब-खुद उठ खड़ा हुआ।
लेकिन क्या यह किशन का सिर्फ भ्रम था या फिर ये “जल मोहिनी “ही थी ?
ताल की ओर बढ़ता पागलपन
किशन के पैर बुढ़िया ताल की ओर बढ़ रहे थे। वह जानता था कि वह पागल हो रहा है।
रास्ते में उसने देखा—गाँव के किनारे लगा वह पीपल का पुराना पेड़, जिसके नीचे गाँव वाले दीया जलाते थे, एकदम शांत खड़ा था। उसकी एक पत्ती तक नहीं हिल रही थी, मानो हवा ने भी डर के मारे साँस लेना बंद कर दिया हो।

जब वह ताल की पगडंडी पर पहुँचा, तो वहाँ अंधेरा इतना घना था कि अपनी हथेली भी नहीं दिख रही थी, लेकिन ताल के केंद्र में एक अजीब सी घटना घट रही थी।
वहाँ, दरारों वाली काली मिट्टी के बीचों-बीच, एक छोटा सा, गोल और गहरा जलाशय बन गया था—मानो किसी ने ज़मीन के नीचे की परत को तोड़ दिया हो। और उस जलाशय के ऊपर एक अप्राकृतिक नीली रोशनी तैर रही थी। यह रोशनी किसी लालटेन की नहीं थी, बल्कि अंदर से आती हुई ठंडी चमक थी।
उस चमक में, किशन ने उसे देखा।
वह अविश्वसनीय रूप से सुंदर थी। एक औरत! वह पानी में कमर तक डूबी थी। उसके बाल पानी में ऐसे फैल रहे थे जैसे काली रेशम की नदी हो। उसकी गोरी त्वचा नीली रोशनी में चमक रही थी। वह मुस्कुरा रही थी, लेकिन उसकी मुस्कुराहट में हज़ार साल पुराना लालच छिपा था।
“मेरे प्यारे किशन… मैं तुम्हारे भाई को यहाँ संभाल कर रखी हूँ। आओ… बस एक कदम और।”
जल मोहिनी की आवाज़ हवा में नहीं, सीधे किशन के दिमाग में गूंज रही थी।
किशन ने अपना आखिरी कदम आगे बढ़ाया। उस क्षण, वह अपने भाई से मिलने की आस में दुनिया की हर चीज़ भूल चुका था।
भयानक सत्य का दर्शन ( जल मोहिनी का स्वरुप )
जैसे ही किशन का हाथ जल मोहिनी की ओर बढ़ा, नीली रोशनी क्षण भर के लिए चमकी। और उस क्षण में, सच्चाई ज़ाहिर हो गई।
उसकी सुंदरता एक पर्दा थी।
किशन ने देखा—उसकी आँखों में कोई आत्मा नहीं थी, वे पूरी तरह से लाल थीं, जैसे किसी की तपती हुई प्यास को दर्शा रही हों। और सबसे भयानक था उसका निचला हिस्सा। उसकी कमर के नीचे, वहाँ मानव पैर नहीं थे, बल्कि मछली के शल्क थे जो खून और कीचड़ में सने थे। और उस जल-झील के कीचड़ में, किशन को कई और छायाएँ हिलती हुई दिखीं—शायद सुरेश और बाकी गुमशुदा गाँव वालों की छायाएँ।
किशन का दिमाग फट पड़ा। उसे याद आया, दादी ने कहा था: “जल मोहिनी झूठ बोलती है। वह मीठी आवाज़ से बुलाती है, पर उसका शरीर आधा इंसान, आधा हत्यारा है।”


वह चीखना चाहता था, लेकिन उसके गले से कोई आवाज़ नहीं निकली। उसका शरीर असहाय था, जल मोहिनी के आकर्षण में बँधा हुआ।
जब जल मोहिनी ने अपना गीला, लंबा हाथ किशन की ओर बढ़ाया, तो उसकी उंगलियाँ तेज़ी से पतली और नुकीली होती गईं।
किशन ने अपनी पूरी बची हुई शक्ति इकट्ठा की और ज़ोर से, अपनी ज़बान से नहीं, बल्कि अपनी आत्मा से प्रार्थना की। उसने अपने इष्टदेव का नाम लिया।
जैसे ही उसने प्रार्थना का शब्द ज़ोर से मन में दोहराया, जल मोहिनी की सुंदरता भयानक क्रोध में बदल गई। वह मधुर हँसी एक कर्णभेदी चीख (Piercing Scream) में बदल गई, जिसने हवा में मौजूद हर चीज़ को फाड़ दिया। नीली रोशनी बुझ गई।
किशन पीछे, मिट्टी पर धड़ाम से गिरा। वह लड़खड़ाता हुआ वापस भागा।
पीछे मुड़कर देखने की हिम्मत नहीं थी, लेकिन उसने भागते हुए अपने कानों में सुना—बुढ़िया ताल की सूखी दरारों से, कीचड़ और पानी के उछलने की भयानक आवाज़ें आ रही थीं, और एक मोटी, मछली जैसी पूँछ मिट्टी पर घिसट रही थी।
वह नहीं जानता था कि वह बच पाया या नहीं। लेकिन उसने उस रात गाँव के दरवाज़े पर पहुँचकर कसम खाई कि वह अब कभी भी किसी सूखे ताल के पास नहीं जाएगा। और उसे पता था कि जब भी मेढ़कों की आवाज़ें आधी रात में अचानक थम जाएँगी, तो बुढ़िया ताल के नीचे, जल मोहिनी अपना अगला शिकार ढूँढ़ रही होगी।
यह डर सिर्फ कहानियों में नहीं, आपके आस-पास भी हो सकता है। क्या आपके गाँव में भी किसी सूखे तालाब या बरगद के पेड़ से जुड़ी ऐसी कोई खौफनाक कहानी है? नीचे कमेंट में हमें उस अनसुलझे रहस्य के बारे में बताएँ, जिसने आज तक आपकी नींद उड़ा रखी है!
अगर आपको जल मोहिनी का कहानी अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों और परिचितों के साथ जिन्हें डरावनी कहानी पढना या देखना पसंद है उनके साथ शेयर कीजिये और साथ ही आपके क्या विचार है इस कहानी को लेकर उसे कमेंट करके ज़रूर बताइए साथ ही जल मोहिनी के जैसे ही एक और बहुत डरावनी कहानी पढना चाहते है तो इस link को दबाइए “खिड़की से दिखा डर का सच | रहस्यमयी खिड़की की सच्चाई”
अगर आपको डरावनी कहानिया पढने के साथ साथ इनका विडियो भी देखना पसंद है तो हमारे YOUTUBE चैनल Jaldi kahani पर तुरंत जाइये और हमारे उस चैनल मिलेगा हर प्रकार की डरावनी रोमांचक भयभीत कर देने वाली रहस्यमय वीडियोस जिसे देखकर आप डर और रोमांच से भर जायेंगे

“Jaldi Kahani website par aapko milenge rachnaatmak, horror, aur suspense se bhare Hindi kahaniyan, jo aapko har pal baandh kar rakhte hain. Yahan har kahani unique hai, jisme suspense, drama, aur supernatural elements ka perfect blend hai, jo aapko sochne par majboor kar de. Har story ka target hai aapko entertainment ke saath sath chills bhi dene ka, aur har post par SEO optimized content milta hai, jisse aap easily search kar sakein aur apni pasand ki kahaniyan pa sakein.”